5/11/2009

तड़पने की दरखास्त

"तड़पने की दरखास्त"

कागज की सतह पर बैठ
लफ्जो ने जज्बात से
तड़पने की दरखास्त की है

विचलित मन ने बेबस हो
प्रतीक्षा की बिखरी
किरचों को समेट

बीते लम्हों से कुछ बात की है..
यादो के गलियारे से निकल
ख्वाइशों के अधूरे प्रतिबिम्बों ने
रुसवा हो उपहास की बरसात की है

धुली शाम के सौन्दर्य को
दरकिनार कर उड़ते धुल के
चंचल गुब्बार ने दायरों को लाँघ
दिन मे ही रात की है


http://swargvibha.0fees.net/july2009/Kavita/tarapne%20ki.html

5/02/2009

"आदि ”



आदित्य रंजन (आदि ) के पहले जन्म दिवस पर असीम स्नेह प्यार , आशीर्वाद और ढेरो दुआओं के साथ ये कुछ पंक्तियाँ आज आदि के नाम....

"आदि ”

हम सब की दुआओं का आदि
तुम कुछ ऐसे फल पाना
इश्वर के हर आशीर्वाद का
तुएक हिस्सा बन जाना

थाम के ऊँगली बाबा की
और माँ के आंचल की छाया में
नन्हे नन्हे पग रख कर
जीवन पथ पर आगे बढ़ते जाना

कोई कष्ट तुम्हे ना छु पाए
कोई आंच भी तुम पर ना आये
खुशियों के मोती बिखरे हो
जिस दिशा में भी तुम मुड जाना

ये स्नेह प्यार और आशीर्वाद
तुम पर सबने बरसाया है
एक भोली मुस्कान से तुम
यूँही सब के दिल को भरमाना

हर कामना इच्छा और लक्ष्य
सब पुर्ण तुम्हारे हो जाये
देव मंदिर में आरती की
बस प्रार्थना तुम बन जाना

(स्नेह सहित)

5/01/2009

"बरसात हो"





"बरसात हो"

"काश" आज फ़िर ऐसी झूम के बरसात हो ,
उनसे फ़िर एक हसीन दिलकश मुलाकात हो ,
इस कदर मिलें तड़प के दो दिल आज की,
धरकनो पे न कोई अब इख्त्यार हो …..

एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
आगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो ,
खामोश लबों की दास्ताँ मौसम भी सुने ,
निगाहों से मोहब्बत ऐ -सूरते -बयाँ हो


http://swargvibha.freezoka.com/kavita/all%20kavita/Seema%20Gupta/barsaat%20ho.html (http://www.swargvibha.tk/)